कौन सुनेगा गीत .....
कौन सुनेगा गीत विरह के, लिखना ही बेकार है.
पीर पिउँ बस, निज अधरों से, इतना ही अधिकार है.
पीर -पीर को पिरोह पिरोह कर,
पहिने हूँ अनगिन मालाएँ.
कदम - कदम पर ठोकर खातीं,
अंतर की सारी आशाएँ
कौन पियेगा पीर ह्रदय की, मतलब का संसार है
कौन सुनेगा गीत................................................
रंग महल में रंग - बिरंगा,
वातायन उल्लास भरा है.
कूकें कोयल,कलियाँ महकें ,
सारा उपवन हरा भरा है.
कौन सुनेगा हूक ह्रदय की, सूना सब घर द्वार है.
कौन सुनेगा गीत..............................................
तूफानों से जा टकराया,
लहरों ने उठ गले लगाया.
छोड़ दिया अब बीच छीर में,
समझौता कब उन्हें सुहाया.
कौन बनेगा मांझी मेरा, नैय्या बिन पतवार है.
कौन सुनेगा गीत...................................................
..........आनन्द विश्वास
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