और रात भी बीती ..
और रात भी बीती रोते,
अश्रु नयन के उर में बोते।
सारी उम्र बिता डाली है,
अपनी लाश स्वयं ही ढोते।
कितनी ख़ुशी मुझे होती, मन,
मेरे साथ, अगर तुम होते।
दो पल की इस धूप - छाँव में,
हिल मिल हँसते, हिल मिल रोते।
आँसू के खारे सागर में,
मीठा - मीठा प्यार समोते।जीने को अब भी जी लेंगे,
तुम होते तो गीत न रोते।
एक प्राण में दो तन थे हम,
इक नदिया के तीर न होते।
...आनन्द विश्वास.
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