दो मुक्तक
जाने क्या कर दिया , हिया गाता है,
जाने क्या वर दिया, हिया गाता है.
नयनों के प्यासे, और उदासे मरु में,
जाने क्या भर दिया, हिया गाता है.
@@@@@@@@@@@@@@
प्रीति की परछाईयों को छोड़ पाओगे नहीं,
बंधनों में बंध गये, अब तोड़ पाओगे नहीं.
दूर कितने भी चले जाना, नयन से तुम,
बिम्ब उर में बन गया, मुह मोड़ पाओगे नहीं.
@@@@@@@@@@@@@@@@@@
........आनन्द विश्वास
जाने क्या कर दिया , हिया गाता है,
जाने क्या वर दिया, हिया गाता है.
नयनों के प्यासे, और उदासे मरु में,
जाने क्या भर दिया, हिया गाता है.
@@@@@@@@@@@@@@
प्रीति की परछाईयों को छोड़ पाओगे नहीं,
बंधनों में बंध गये, अब तोड़ पाओगे नहीं.
दूर कितने भी चले जाना, नयन से तुम,
बिम्ब उर में बन गया, मुह मोड़ पाओगे नहीं.
@@@@@@@@@@@@@@@@@@
........आनन्द विश्वास
No comments:
Post a Comment