कुछ मुक्तक...
मैं अभावों में पला हूँ,
मुश्किलों में, मैं ढला हूँ.
पाँव सयंम के बढ़ा कर,
तिमिर से लड़ने चला हूँ.
@@@@@@@@@@
दर्दीले गीत, तुम्हारे लिये हिया रोता है.
रूंठे संगीत, तुम्हारे लिये हिया रोता है.
बचपन में खेले साथ, अब रहते हर पल दूर,
रेतीले मीत, तुम्हारे लिये हिया रोता है.
@@@@@@@@@@@@@@@@
हर रुदन को, हास देता जा रहा हूँ,
हर अमाँ को प्रात देता जा रहा हूँ.
याद को चिरसंगिनी अपनी बना कर,
प्यार को विश्वास देता जा रहा हूँ.
@@@@@@@@@@@@@@@
....आनन्द विश्वास.
मैं अभावों में पला हूँ,
मुश्किलों में, मैं ढला हूँ.
पाँव सयंम के बढ़ा कर,
तिमिर से लड़ने चला हूँ.
@@@@@@@@@@
दर्दीले गीत, तुम्हारे लिये हिया रोता है.
रूंठे संगीत, तुम्हारे लिये हिया रोता है.
बचपन में खेले साथ, अब रहते हर पल दूर,
रेतीले मीत, तुम्हारे लिये हिया रोता है.
@@@@@@@@@@@@@@@@
हर रुदन को, हास देता जा रहा हूँ,
हर अमाँ को प्रात देता जा रहा हूँ.
याद को चिरसंगिनी अपनी बना कर,
प्यार को विश्वास देता जा रहा हूँ.
@@@@@@@@@@@@@@@
....आनन्द विश्वास.
No comments:
Post a Comment