हम बच्चे हिंदुस्तान के.
शीश झुकाना नहीं जानते,
शीश कटाना ही जाना।
मेरा मजहब मुझको प्यारा,
पर का मजहब कब माना।
गोविन्द सिंह के वीर सिंह,
हम पले सदा तलवारों में।अपने बच्चे चिनवा डाले,
जीते जी दीवारों में।
रग-रग में है स्वाभिमान,
हम चलते सीना तान के।
हम बच्चे हिन्हुस्तान के।
सागर हमसे थर-थर कांपे,
पर्वत शीश झुकाता है।
तूफानों की राह मोड़ कर,
वीर सदा मुस्काता है।
राणा - सांगा के हम वंशज,
और शिवा के हम भाई।
परवसता की बेडी काटी,
और घास की रोटी खाई।
स्वाभिमान की जलती ज्वाला,
हम जौहर राजस्थान के।
हम बच्चे हिन्हुस्तान के।
गौतम गाँधी के हम साधक,
विश्व शांति के अनुयायी।
मानवता के लिए जियेंगे ,
राजघाट पर कसमें खाईं।
इन्गिलश भारत माँ के गहने,
हिंदी है माता की बिंदी।
गुजराती परिधान पहन कर,
गाना गाते हम सिंधी।
शांति - दूत, हम क्रांति - दूत,
हम तारे नील वितान के।
हम बच्चे हिन्हुस्तान के।
... आनन्द विश्वास
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