Thursday, 23 July 2020

"सुहागन करो"

मेरे   दर्द   मेरे  सिर्फ  मुझको  वरो।
क्वारी ये  लगन  है  सुहागन  करो।
मेरा   मन  है  कहीं,
और  तन  है  कहीं।
नाम   तेरा    लिया,
जाम    लेना   नहीं।
रात जाती  रही, अब तो धीरज धरो।
मेरे   दर्द   मेरे   सिर्फ   मुझको  वरो।
प्यार उर  से  किया,
सिर्फ   उर   में  रहे।
दर्द     सहता    रहे,
ना की लब से कहे।
दर्द  घुलता रहेमुझसे  वादा  करो।
मेरे  दर्द   मेरे   सिर्फ  मुझको  वरो।
प्यार    होता   अमर,
किसके   रोके  रुका।
तन  से   रिश्ता  नहीं,
मन से जग भी झुका।
तन से ना ही सही, मन से बातें करो।
मेरे   दर्द   मेरे   सिर्फ  मुझको  वरो।
-आनन्द विश्वास

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