Sunday, 16 October 2011

ये सोना, ये चाँदी

 ये सोना, ये चाँदी


ये   सोना,   ये   चाँदीये    हीरे,  ये    मोती,
ये   किस   काम   के    हैं,    नगीना   नहीं   हैं।  
चाहते  हैं  जो  धन  को, 
कोसते  है  जो  मन  को।
सच   कहूँ जिन्दगी   उनकोजीना  नहीं  है,
ये   सोना,   ये   चाँदीये   हीरे,   ये    मोती।

कौन   क्या   है   न   जानोकिसी  को   कभी,
बनो   खुद   ही    ऐसे ,   कि     जानें     सभी।
काम      इतना       करो 
घन   की    उपमा   बनो।
फिर   बहे     जो   पसीना,   पसीना    नहीं   है,
ये   सोना,   ये   चाँदीये    हीरे,   ये    मोती।
 
हार    जाओ      भले,     हार     मानो     नहीं,
तन   से   हारो   भलेमन    से   हारो     नहीं। 
होड़    खुद     से   करो,   
कल   से   बेहतर   बनो।
नेक    इंसा   से    बेहतरकोई    भी   नहीं   हैं.
ये   सोना,   ये   चाँदीये    हीरे,   ये     मोती।  

अमर   प्यार   है,   क्यों   मरे    जा    रहे    हो,
बनाने    को    हस्ती,    मिटे     जा    रहे   हो।
गुलाबी  सी  बोतल  में, 
देख   तुम  जो   रहे हो।
सामने     आयना    है,     हसीना    नहीं    है,
ये   सोना,  ये   चाँदीये   हीरे,   ये     मोती।
 
                                   ...
आनन्द विश्वास 

8 comments:

  1. कौन क्या है न जानो, किसी को कभी,
    बनो खुद ही ऐसे , कि जानें सभी,
    काम इतना करो,
    घन की उपमा बनो,
    फिर बहे जो पसीना, पसीना नहीं है.
    ये सोना, ये चाँदी,....waah

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  2. कोसते है जो मन को,
    सच कहूँ , जिन्दगी उनको, जीना नहीं है.
    वाह सर! सुन्दर/प्रेरक गीत...
    सादर बधाई...

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  3. सच कह रहे हैं !
    शुभकामनायें आपको !

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  4. बहुत प्रेरक प्रस्तुति...दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें!

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  5. बनो खुद ही ऐसे , कि जानें सभी.....

    यही तो नहीं कर पाता इन्सान .....

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  6. नेक इंसा से बेहतर, कोई भी नहीं हैं.
    sach bole.....

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  7. सच कहूँ , जिन्दगी उनको, जीना नहीं है.
    ये सोना, ये चाँदी, ...............................
    मेरे दिल की बात कह दी।

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