Friday, 10 July 2020

"बुरा न बोलो बोल रे"


बुरा न देखोबुरा सुनो ना, बुरा न बोलो  बोल रे,
वाणी में मिसरी तो घोलो, बोल बोल को तोल रे।
मानव  मर जाता है लेकिन,
शब्द  कभी  ना   मरता  है।
शब्द-वाण से आहत मन का,
घाव  कभी  ना   भरता  है।
सौ-सो बार सोचकर बोलो, बात यही अनमोल रे,
बुरा न देखो,  बुरा सुनो ना,  बुरा न बोलो बोल रे।
पांचाली  के  शब्द-वाण से,
कुरुक्षेत्र   रंग   लाल   हुआ।
जंगल-जंगल भटके पाण्डव,
चीर-हरण  क्या हाल हुआ।
बोल सको तो अच्छा बोलो,वर्ना मुँह मत खोल रे,
बुरा न देखो,  बुरा सुनो ना,  बुरा न  बोलो बोल रे।
जो   देखोगे   और  सुनोगे,
वैसा  ही  मन  हो  जाएगा।
अच्छी बातें, अच्छा दर्शन,
जीवन निर्मल  हो जाएगा।
अच्छा मन,सबसे अच्छा धन,मनवा जरा टटोल रे,
बुरा न देखो,  बुरा सुनो ना,  बुरा न बोलो  बोल रे।
कोयल बोले  मीठी वाणी,
कानों   में   रस   घोले  है।
पिहु-पिहु मन-मोर नाँचता,
सबके  मन   को   मोहे  है।
खट्टी अमियाँ  खाकर मिट्ठू, मीठा-मीठा  बोल रे,
बुरा न देखो, बुरा सुनो ना, बुरा न बोलो बोल रे।
-आनन्द विश्वास


No comments:

Post a Comment