Thursday, 31 December 2015

My Papa Is The Best

...Anand Vishvas

My Papa is the best,
Become child with me.

They become instant horse,
And sit me on his back.

Shaking leg says Hin-Hin,
Valid wandered gallop.

And then they jump,
Say Tap-Tap, Tap-Tap.

Tired then say horse is hungry ,
Asking  for Bread and Pakora.

Bring tea and Pakora,
Now horse Delete appetite.

My beloved daughter, Queen,
Bring water to the thirsty horse.

I quickly get water,
And feed them by my own.

How beautiful doll brought,
Gift has swarmed.

When I press doll's stomach,
She sings song and laughs.

They dangle me on his feet,
Sing song Zhu-Zhu, Ma-Mu.

Pose, pose, taking the strain,
When high and drop on the bad.

Papa then filtered Pick
Pick up and Drop me.

Fall molt pleasing me,
Dad playing with bearable.

I take food with him,
They tell story every day.

I'm rolling and tossing,
When I tired I fall sleep.

...Anand Vishvas


Thursday, 17 December 2015

किस नम्बर की कार तुम्हारी

चन्दा   मामा    हमें   बताओ,
किस नम्बर की कार तुम्हारी।
पन्द्रह-पन्द्रह   दिन  ना  आते,
कैसी   है   सरकार   तुम्हारी।

पन्द्रह  दिन  तक इवन नम्बर,
पन्द्रह  दिन  तक  नम्बर ऑड,
इवन-ऑड  वहाँ   भी  चलता,
या  तुम   करते  रहते  फ्रॉड।

डीज़ल  से   क्या  चलते  तारे,
सीएनजी  किट नहीं वहाँ पर।
दूषित  है  वातास  वहाँ  क्या,
धूल-धुआँ  कैसा   है  ऊपर।

सूरज पर  क्या  पावर-कट है,
पावर-हाउस  हुआ क्या फेल।
लो-बोल्टेज की धूप  यहाँ  है,
राम    भरोसे   अपनी   रेल।

कौन-कौन  से  दल  हैं  नभ में,
भ्रष्टाचार   वहाँ    पर   कैसा।
अच्छे  दिन  हैं  कहो  वहाँ पर,
या फिर सब कुछ धरती जैसा।

कृष्ण-पक्ष  है,  शुक्ल-पक्ष  है,
पन्द्रह-पन्द्रह दिन का शासन।
क्या विपक्ष की संख्या कम है,
ठग-बन्धन का चलता शासन।

हमने   तो  सोचा  था  पहले,
मामा  के   घर  हम   जाऐंगे।
वातावरण  वहाँ जब  दूषित,
अब  हम वहाँ  नहीं  आऐंगे।

...आनन्द विश्वास

Monday, 30 November 2015

चलो बुहारें अपने मन को

चलो  बुहारें  अपने  मन  को,
और सँवारें  निज  जीवन को।
चलो  स्वच्छता को अपना  लें,
मन को निर्मल स्वच्छ बना लें।

देखो,  कितना गन्दा मन  है,
कितना कचरा और घुटन है।
मन  कचरे से अटा पड़ा है,
बदबू  वाला  और सड़ा  है।

घृणा  द्वेष  अम्बार यहाँ  है,
कचरा  फैला यहाँ  वहाँ है।
मन की सारी गलियाँ देखो,
गंध  मारती नलियाँ  देखो।

घायल  मन  की  आहें देखो,
कुछ  बनने  की  चाहें  देखो।
राग  द्वेष  के  बीहड़  जंगल,
जातिवाद के अनगिन दंगल।

फन  फैलाए   काले  विषधर,
सृष्टि निगल जाने  को तत्पर।
मेरे   मन   में,  तेरे   मन  में,
सारे जग के हर इक मन में।

शब्द-वाण से आहत  मन में,
कहीं  बिलखते बेवश मन में।
ढाई  आखर  को   भरना  है,
काम कठिन है पर करना है।
-आनन्द विश्वास

Thursday, 19 November 2015

हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई

हिन्दू  मुस्लिम  सिख  इसाई,
ये सब  क्या है,  बोलो  भाई।
उसने  तो   इन्सान   बनाया,
किसने  ऐसी   चाल  चलाई।

हिन्दू क्या है, मुस्लिम क्या है,
किसने   खोदी   ऐसी   खाई।
सबको मिल जुलकर रहना था,
फिर किसने  नफ़रत  फैलाई।

एक धरा  है  एक  गगन  है,
एक   खुदा  के बन्दे,  भाई।
एक  मनुज है, एक खून है,
सारे    इन्सां   भाई - भाई।

खून,  नसों में  बहता  अच्छा,
किसने   खूनी - नदी  बहाई।
हरे  रंग  की   सुन्दर  धरती,
क्यों कर इसको लाल रंगाई।

जगह-जगह  सन्नाटा  पसरा,
किसने भय-मय हवा चलाई।
प्रेम  रंग  है   सबसे  अच्छा, 
प्रेम   रंग   में  रंगो  खुदाई।
***
-आनन्द विश्वास

Monday, 16 November 2015

गाँधी जी के बन्दर तीन

गाँधी  जी  के  बन्दर  तीन,
तीनों   बन्दर  बड़े  प्रवीन।
खुश हो बोला पहला बन्दा,
ना मैं  गूँगा, बहरा, अन्धा।

पर  मैं  अच्छा  ही  देखूँगा,
मन को  गन्दा नहीं करूँगा।
तभी उछल कर दूजा बोला,
उसने राज़ स्वयं का खोला।

अच्छी-अच्छी  बात सुनूँगा,
गन्दा  मन  ना  होने  दूँगा।
सुनो, सुनाऊँ  मन की आज,
ये  बापू  के  मन  का  राज़।

जो   देखोगे    और   सुनोगे,
वैसे  ही  तुम  सभी  बनोगे।
हमको  अच्छा  ही बनना है,
मन को अच्छा ही रखना है।

अच्छा  दर्शन, अच्छा जीवन,
सुन्दरता से भर लो तन-मन।
सोच समझकर तीजा बोला,
मन में जो था, वो ही बोला।

आँख कान से मनुज गृहणकर,
ज्ञान संजोता  मन के अन्दर।
मुख से, जो भी मन में होता,
वो ही तो, वह बोला करता।

अच्छा बोलो जब भी बोलो,
शब्द-शब्द को पहले तोलो।
मधुर  बचन  सबको भाते हैं,
सबके   प्यारे   हो  जाते  हैं।
-आनन्द विश्वास

Wednesday, 11 November 2015

जगमग सबकी मने दिवाली

जग-मग सबकी मने दिवाली,
खुशी उछालें  भर-भर थाली।
खील खिलौने और  बताशे,
खूब   बजाएं   बाजे   ताशे।

ज्योति-पर्व है,ज्योति जलाएं,
मन के  तम को  दूर  भगाएं।
दीप जलाएं  सबके  घर पर,
जो नम  आँखें उनके घर पर।

हर मन में  जब दीप जलेगा,
तभी  दिवाली  पर्व  मनेगा।
खुशियाँ सबको घर-घर बाँटें,
तिमिर कुहासा मन का छाँटें।

धूम  धड़ाका   खुशी  मनाएं,
सभी जगह पर दीप जलाएं।
ऐसा  कोई   कोना   हो  ना,
जिसमें जलता दीप दिखे ना।

देखो, ऊपर  नभ  में  थाली,
चन्दा के घर  मनी दिवाली।
देखो,  ढ़ेरों   दीप   जले  हैं,
नहीं  पटाखे  वहाँ  चले  हैं।

कैसी  सुन्दर  हवा  वहाँ  है,
बोलो  कैसी  हवा  यहाँ  है।
सुनो,  पटाखे   नहीं चलाएं,
धुआँ, धुन्ध  से मुक्ति  पाएं।

-आनन्द विश्वास

Thursday, 15 October 2015

फल खाओगे, बल पाओगे

फल  खाओगे, बल  पाओगे,
सुन्दर  तन  का हल पाओगे।
काजू किशमिश और मखाने,
शक्ति - पुंज   हैं  जाने  माने।

एप्पल गुण की खान सुनो तुम,
सबसे  पहले  इसे  चुनो  तुम।
छिलका सहित चबाकर खाओ,
या  फिर इसका  शेक  बनाओ।

देखो, आम   फलों  का  राजा,
सीज़न  फल है  खाओ  ताजा।
काटो,  चूँसो,  ज्यूस  बनाओ,
पना,   मुरब्बा,  जैम  बनाओ।

चीकू,  लीची, जामुन, केला,
इनका स्वाद बड़ा अलवेला।
मौसम्बी  का ज्यूस  निराला,
पी जाओ बस डाल मसाला।

और  नारियल  पानी  पीकर,
दौड़ो, खेलो प्यास  बुझाकर।
खेल खेलकर जब थक जाओ,
नींबू    पानी   गटको  पाओ।

सुपर  फूड  है  सुनो  अनार,
दूर   करे  यह  रक्त  विकार।
इसको  खाओ  प्रातः काल,
चेहरा  दमके  हर दम लाल।

सबसे  बढ़िया मस्त चुकन्दर,
खाओ इसको  बनो कलन्दर।
कन्दमूल   फल  सबसे  भारी,
इसकी  लीला  सबसे  न्यारी।

खाना, पीना, लिखना, पढ़ना,
बच्चो  तुमको  आगे  बढ़ना।
इसीलिए   तो   कहता   राजा,
फल खाकर मन कर लो ताजा।
-आनन्द विश्वास

Sunday, 11 October 2015

"बन सकते तुम अच्छे बच्चे"

सुबह    सबेरे   जल्दी   जगते,
और  रात  को  जल्दी   सोते।
ऐसा    करते    अच्छे   बच्चे,
बन  सकते  तुम अच्छे बच्चे।
सिटअप करते, पुशअप करते,
और तेल  की  मालिश करते।
कसरत  करते  अच्छे  बच्चे,
बन सकते तुम अच्छे  बच्चे।
त्राटक   करते,  योगा   करते,
वॉकिंग करते, जौगिंग करते।
स्वास्थ्य सँवारें अच्छे  बच्चे,
बन  सकते तुम अच्छे बच्चे।
मात पिता गुरु  आज्ञा  मानें,
अच्छा  बुरा  स्वयं पहचानें।
सबको  भाते  अच्छे  बच्चे,
बन सकते तुम अच्छे बच्चे।
दुःख में सुख में सम रहते हैं,
दूजों  के ग़म  कम  करते हैं।
सत्-पथ चलते अच्छे बच्चे,
बन सकते तुम अच्छे बच्चे।
जाति-पाँति से  ऊपर उठकर,
मानव-सेवा  शिरोधार्य  कर।
सेवा  करते   अच्छे   बच्चे,
बन सकते तुम अच्छे बच्चे।
-आनन्द विश्वास