ये सब क्या है, बोलो भाई।
उसने तो इन्सान बनाया,
किसने ऐसी चाल
चलाई।
हिन्दू क्या है, मुस्लिम
क्या है,
किसने खोदी ऐसी खाई।
सबको मिल जुलकर रहना था,
फिर किसने नफ़रत फैलाई।
एक धरा है एक गगन है,
एक खुदा के बन्दे,
भाई।
एक मनुज है,
एक खून है,
सारे इन्सां भाई - भाई।
खून, नसों में बहता अच्छा,
किसने खूनी -
नदी बहाई।
हरे रंग की सुन्दर धरती,
क्यों कर इसको लाल रंगाई।
जगह-जगह सन्नाटा
पसरा,
किसने भय-मय हवा चलाई।
प्रेम रंग है सबसे अच्छा,
प्रेम रंग
में रंगो खुदाई।
***
-आनन्द
विश्वास
बहुत सुन्दर कविता विश्वास जी......बधाई.....
ReplyDeleteसुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार....