आई रेल, आई रेल।
बंटी
बबलू खेल रहे थे,
कुर्सी
आगे ठेल रहे थे।
तभी
दौड़ती पिंकी आई,
और
साथ में टॉफी
लाई।
बोली -
आओ, खेलें खेल,
आई
रेल, आई रेल।
बबली
लाई झंडी घर से,
स्वीटी
लाई सीटी घर
से।
बंटी
लाई घर से
धागा,
टौमी
को कुर्सी से बांधा।
शुरू
हुआ बच्चों का
खेल,
आई
रेल , आई रेल।
तभी पास का कुत्ता आया,
टौमी
को देखा, गुर्राया।
दौनों
कुत्ते लड़े पड़े थे,
बंटी
बबलू गिरे पड़े थे।
लगी
चोट, पर भाया खेल,
आई
रेल , आई रेल।
......आनन्द
विश्वास
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