चलता जा तू अपनी चाल।
तेरे आगे तेरी मंज़िल,
पूछ न तू पाँवों के हाल।
चौविस घण्टे चारों याम,
आगे कदम बढ़ा हर हाल।
ये जग ग़म से अटा पड़ा है,
आँसू ले ले खुशी उछाल।
पग-पग काँटे, बीहड़ जंगल,
मुश्किल का हल स्वयं निकाल।
गहन तिमिर घनघोर अँधेरा,
तम के आगे जला मशाल।
जाति-पाँत से ऊपर उठकर,
अपना मन तू बना विशाल।
तेरे ही तुझको खींचेंगे,
कभी न करना कोई मलाल।
संघर्षों का नाम जिन्दगी,
संघर्षों में खुद को ढाल।
सुख-दुःख तो आते जाते हैं,
अपने आँसू स्वयं सम्हाल।
-आनन्द विश्वास
तेरे आगे तेरी मंज़िल,
पूछ न तू पाँवों के हाल।
चौविस घण्टे चारों याम,
आगे कदम बढ़ा हर हाल।
ये जग ग़म से अटा पड़ा है,
आँसू ले ले खुशी उछाल।
पग-पग काँटे, बीहड़ जंगल,
मुश्किल का हल स्वयं निकाल।
गहन तिमिर घनघोर अँधेरा,
तम के आगे जला मशाल।
जाति-पाँत से ऊपर उठकर,
अपना मन तू बना विशाल।
तेरे ही तुझको खींचेंगे,
कभी न करना कोई मलाल।
संघर्षों का नाम जिन्दगी,
संघर्षों में खुद को ढाल।
सुख-दुःख तो आते जाते हैं,
अपने आँसू स्वयं सम्हाल।
-आनन्द विश्वास
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