Monday, 23 May 2016

*बारिश आई, बारिश आई*


बारिश आई,  बारिश आई,
धूम-धड़ाका  करती आई।

पहले   आँधी    धूल   उड़ाई,
बड़े  ज़ोर   से   हवा  चलाई।
काले - काले    बादल   छाए,
उमड़-घुमड़कर शोर मचाए।

बदला मौसम बदली छाई,
बारिश आई, बारिश आई।

घना अँधेरा  दिन में छाया,
जाने कैसी, प्रभु की माया।
होर्डिंग-बोर्डिग गिरे पड़े थे,
पेड़ गिरे, जो कभी खड़े थे।

वायुयान  की  शामत आई,
बारिश आई, बारिश आई।

पानी   लेकर  खड़ा  व्योम  था,
पुलकित  सबका रोम-रोम था।
झम-झम झम-झम पानी बरसा,
धरती का कन-कन अब हरसा।

अब  लोगों  ने  राहत पाई।
बारिश आई,  बारिश आई।

-आनन्द विश्वास

No comments:

Post a Comment