फूल चुनने के लिए, मत क़दमों को, तुम रोको,
ये तो मग में ही तुम्हारे, पग - पग पे खिलेंगे.
रात - दिन अपने हैं,
दुनियाँ भी हमारी है,
पाँव गर आगे बढ़ें,
मंजिल भी हमारी है.
गम के सरगम पे कभी,
आह न सुन पाए कोई,
मरना जीना तो यहाँ,
आत्मा की खुमारी है.
सिर्फ जीने के लिए, मत मौत को तुम टोको,
कौम के काम अगर आये तो, मर कर भी जियेंगे.
......आनन्द विश्वास