Tuesday, 24 May 2016
Monday, 23 May 2016
*बारिश आई, बारिश आई*
पहले
आँधी धूल उड़ाई,
बड़े
ज़ोर से हवा चलाई।
काले - काले
बादल छाए,
उमड़-घुमड़कर
शोर मचाए।
बदला मौसम बदली छाई,
बारिश आई, बारिश आई।
बदला मौसम बदली छाई,
बारिश आई, बारिश आई।
घना
अँधेरा दिन में छाया,
जाने
कैसी, प्रभु की माया।
होर्डिंग-बोर्डिग
गिरे पड़े थे,
पेड़
गिरे, जो कभी खड़े थे।
वायुयान की शामत आई,
बारिश आई, बारिश आई।
वायुयान की शामत आई,
बारिश आई, बारिश आई।
पानी लेकर खड़ा व्योम था,
पुलकित सबका रोम-रोम था।
झम-झम
झम-झम पानी बरसा,
धरती
का कन-कन अब हरसा।
अब लोगों ने राहत पाई।
बारिश आई, बारिश आई।
अब लोगों ने राहत पाई।
बारिश आई, बारिश आई।
-आनन्द विश्वास
Sunday, 8 May 2016
कुछ और हाइकु
1.
घड़ी की सुईं
घड़ी की सुईं
चलकर
कहतीं
चलते
रहो।
2.
पानी
या खून
हर बूँद
अमूल्य
मत बहाओ।
3.
सूखा
ही सूखा
प्यासा
मन तरसा
हुआ
उदासा।
4.
भ्रष्टाचार
से
देश
को बचाएंगे
संकल्प
करें।
5.
आतंकवाद
समूल
मिटाना है
मन
में ठानें।
6.
नैतिक
मूल्य
सर्वोपरि
होते हैं
मन
से मानें।
7.
गेंहूँ
जौ चना
कैसे
हो और घना
हमें
सोचना।
...आनन्द विश्वास
Friday, 25 March 2016
"अगर सीखना कुछ चाहो तो"
अगर
सीखनाकुछ चाहो
तो,
हर
चीज तुम्हें
शिक्षा देगी।
शर्त यही है कुछ पाने की,
जब मन में इच्छा होगी।
शर्त यही है कुछ पाने की,
जब मन में इच्छा होगी।
नदियाँ
कहतीं अविरल गति से,
पल-पल
तुम बहते जाओ।
आहत होकर चट्टानों से,
गीत मधुर गाते जाओ।
आहत होकर चट्टानों से,
गीत मधुर गाते जाओ।
रुकना
नहीं सदा बहना
है,
जब
तक मंजिल ना पाओ।
सागर से मिलने को आतुर,
प्रति पल आगे बढ़ते जाओ।
सागर से मिलने को आतुर,
प्रति पल आगे बढ़ते जाओ।
संघर्षों
में जमकर जी लो,
मेहनत
का मघुरस तुम पी लो।
जीवन फिर वासन्ती होगा,
विषपायी हो विष भी पी लो।
जीवन फिर वासन्ती होगा,
विषपायी हो विष भी पी लो।
अवगुण
औरों के मत देखो,
सद्गुण सबके अपनाओ।
कर्म, ज्ञान औ भक्ति जगाकर,
अवगुण अपने दूर भगाओ।
कर्म, ज्ञान औ भक्ति जगाकर,
अवगुण अपने दूर भगाओ।
सूरज
खुद पहले तपता
है,
फिर
देता सबको उजियारा।
पाँच तत्व के शक्ति-पुंज तुम,
है बोलो क्या कर्तव्य तुम्हारा।
पाँच तत्व के शक्ति-पुंज तुम,
है बोलो क्या कर्तव्य तुम्हारा।
सोने
से तुम तपना सीखो,
संघर्षों से मत घबराओ।
पुस्तक कहतीं ज्ञान-पुंज मैं,
जितना चाहो लेते जाओ।
पुस्तक कहतीं ज्ञान-पुंज मैं,
जितना चाहो लेते जाओ।
सूर्य-मुखी
सूरज
मुख जैसे,
ऐसे
ही तुम गुरु-मुख होना।
सर्वप्रथम गुरु माँ होती है,
उनको अपना शीश नवाना।
सर्वप्रथम गुरु माँ होती है,
उनको अपना शीश नवाना।
गति-मय
चरण न रुकने पाएं,
मंजिल
अपने आप मिलेगी।
आज नहीं तो कल फूलों की,
बगिया अपने आप खिलेगी।
आज नहीं तो कल फूलों की,
बगिया अपने आप खिलेगी।
***
-आनन्द
विश्वास
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