हमने
माना
पानी नहीं बहाना
तुम भी मानो।
पानी नहीं बहाना
तुम भी मानो।
2.
छेड़ोगो
तुम
अगर प्रकृति को
तो भुगतोगे।
अगर प्रकृति को
तो भुगतोगे।
3.
जल-जंजाल
न बने जीवन का
जरा विचारो।
न बने जीवन का
जरा विचारो।
4.
सूखा
ही सूखा
क्यों
है चारों ओर
सोचो तो सही।
5.
पानी
या खून
हर
बूँद अमूल्य
मत
बहाओ।
6.
खून
नसों में
बहता
अच्छा, नहीं
सड़क
पर।
7.
सुनो
सब की
सोचो समझो और
करो मन की
सोचो समझो और
करो मन की
8.
घड़ी
की सुईं
चलकर
कहती
चलते
रहो।
9.
रोना
हँसना
बोलो, कौन सिखाता
खुद आ जाता।
बोलो, कौन सिखाता
खुद आ जाता।
10.
सूखा
ही सूखा
प्यासा
मन तरसा
हुआ
उदासा।
11.
भ्रष्टाचार
से
देश
को बचाएंगे
संकल्प
करें।
12.
आतंकवाद
समूल
मिटाना है
मन
में ठानें।
13.
नैतिक
मूल्य
होते
हैं सर्वोपरि
मन
से मानें।
14.
गेंहूँ
जौ चना
कैसे
हो और घना
हमें
सोचना।
15.
मन
की बात
सोचो,
समझो और
मनन
करो।
16.
देश
बढ़ेगा
अपने
दम पर
आगे
ही आगे।
17.
अपना
घर
तन-मन-धन
से
स्वच्छ
बनाएं।
18.
विद्या
मन्दिर
नारों
का अखाड़ा है
ये
नज़ारा है।
19.
सब
के सब
एक
को हटाने में
एक
मत हैं।
20.
पहरेदार
हटे,
तो काम बने
हम
सब का।
21.
नहीं
सुहाते
हमको
दोनों घर
बिन
कुर्सी के।
22.
नारी
सुरक्षा
आकाश
हुआ मौन
मत
चिल्लाओ।
23.
सूखा
ही सूखा
बादल
हैं लाचार
रोती धरती
24.
दीप
तो जले
उजाला
नहीं हुआ
दीप
के तले।
25.
जागते
रहो
कह
कर, सो गया
पहरेदार।
-आनन्द विश्वास