घटिया सुनो वयान, रामजी।
न्याय-प्रिय जनता के अब तो,
खटिया पर हैं प्राण, रामजी।
साधू
संतों वाली वाणी,
सुनने
से डरता अब प्राणी।
विषधर से ज्यादा विषमय,
लेकर फिरते ज्ञान, रामजी।
विषधर से ज्यादा विषमय,
लेकर फिरते ज्ञान, रामजी।
बक-बक
करते सारे दिनभर,
दोष
मढ़े दूजों के सिर पर।
चौथा खम्बा धरे जेब में,
डोलें ये श्रीमान, रामजी।
चौथा खम्बा धरे जेब में,
डोलें ये श्रीमान, रामजी।
गोली
की बोली ये बोलें,
पैसे
के पीछे ये
हो लें।
गड़-बड़झाला करने वाले,
चलते सीना तान, रामजी।
गड़-बड़झाला करने वाले,
चलते सीना तान, रामजी।
जोड़-तोड़
करने वालों ने,
तोड़-फोड़
करने वालों ने।
आग लगादी दुनियाँ भर को,
व्याकुल वेद-कुरान,रामजी।
आग लगादी दुनियाँ भर को,
व्याकुल वेद-कुरान,रामजी।
ऐसे
में कैसे हम जी लें,
व्याकुल-मन
कैसे लव सीं लें।
सन्नाटा है गली-गली में,
कुछ तो करो निदान,रामजी।
सन्नाटा है गली-गली में,
कुछ तो करो निदान,रामजी।
-आनन्द
विश्वास
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