परी-लोक में मत भरमाओ,
आज देश के बचपन
को।
परी-लोक सा देश बनाकर,
दे दो नन्हें
बचपन
को।
क्यों कहते हो स्वर्ग-लोक में,
निर्मल गंगा बहती है।
गंगा को निर्मल कर कह दो,
ऐसी गंगा बहती
है।
बेटा-बेटा कह
बेटी को,
मत
भरमाओ बेटी को,
उसको उसका हक दे,कह दो
तुम शक्ति-स्वरूपा बेटी हो।
ये
करना है, वो
कर देंगे,
मत भरमाओ जन-जन को।
जो करना है कर दिखलाओ,
आज देश के
जन-गण को।
-आनन्द विश्वास
भावपूर्ण प्रस्तुति.बहुत शानदार
ReplyDeleteकुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
मदन मोहन जी,
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद।
अपना स्नेह बनाए रखिए।
.....आनन्द विश्वास