सुबह
सबेरे त्राटक योगा,
सुन्दर
तन-मन, भागें रोगा।
हल्की जौगिंग जो हो जाए,
सारा दिन मंगल-मय होगा।
दादा
जी अक्सर
कहते हैं,
योगा को
अपनाना होगा।
एक बार जो कर ले
योगा,
देखो, फिर कैसा मन होगा।
योगा
करने वाला हर जन,
चुस्ती फुर्ती
वाला होगा।
आसन से शासन हो मन पर,
चंचल मन भी वश में होगा।
विश्वशान्ति
का हल है योगा,
आत्मशक्ति सम्बल है योगा।
जन-जन के मन में बस जाए,
तभी सुनहरा जन-गण होगा।
...आनन्द
विश्वास
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज शुक्रवार (10-07-2015) को "सुबह सबेरे त्राटक योगा" (चर्चा अंक-2032) (चर्चा अंक- 2032) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
विश्वशान्ति का हल है योगा,
ReplyDeleteआत्मशक्ति सम्बल है योगा।
जन-जन के मन में बस जाए,
तभी सुनहरा जन-गण होगा।
....बहुत सुन्दर