Thursday, 30 July 2015
Thursday, 23 July 2015
मेरे पापा सबसे अच्छे
मेरे पापा सबसे अच्छे,मेरे संग बन जाते बच्चे।झटपट वो घोड़ा बन जाते,और पींठ पर मुझे बिठाते।पूँछ हिलाते हिन-हिन करते,धमा चौकड़ी भरते फिरते।और गुँलाटी फिर वो भरते,टप-टप, टप-टप बोला करते।थककर कहते भूखा घोड़ा,माँग रहा है ब्रेड-पकोड़ा।चाय और पकोड़ा लाओ,अब घोड़े की भूख मिटाओ।मेरी प्यारी बिटिया रानी,प्यासा घोड़ा लाओ पानी।जल्दी से मैं पानी लाती,अपने हाथों उन्हें पिलाती।कितनी सुन्दर गुड़िया ला दी,उपहारों की झड़ी लगा दी।जब गुड़िया का पेट दबाती,गाती, हँसती और हँसाती।कभी पैर पर मुझे झुलाते,झू-झू मामू गाना गाते।ढब-ढब करके छान उठाते,ऊँचा करते और गिराते।पापा फिर से छान उठाओ,मुझे उठाओ और गिराओ।गिरना पड़ना मुझको भाता,पापा के संग खेल सुहाता।खाना अपने संग खिलाते,और कहानी रोज़ सुनाते।लोट-पोट मैं हो जाती हूँ,थक कर फिर मैं सो जाती हूँ।-आनन्द विश्वास
Monday, 20 July 2015
मेरे जन्म दिवस पर मुझको
मेरे जन्म दिवस पर मुझको
...आनन्द विश्वास
मेरे जन्म दिवस पर मुझको,
पापा ने उपहार दिया है।
सुन्दर पुस्तक *देवम* दी है,पढ़ने
वाला प्यार दिया है।
पुस्तक में
बालक देवम ने,
आतंकी को मार
गिराया।
बेटा बेटी
सभी पढ़ेंगे,
का सुन्दर अभियान चलाया।
सभी पढ़ेंगे,
सभी बढ़ेंगे, नारे को
साकार किया है।
मेरे जन्म दिवस पर मुझको,
पापा ने उपहार दिया है।
वृद्धाश्रम में
विधवा माँ को,
उसको उसका घर दिलवाया।
उसका बेटा
बड़ा दुष्ट था,
उसे जेल
में बन्द कराया।
वृद्धजनों की सेवा करना,
हमें सिखा उपकार किया है।
मेरे जन्म दिवस पर मुझको,
पापा ने उपहार दिया है।
इस पुस्तक में एक बात
जो,
सबसे ज्यादा मुझको
भाई।
देवम ने भी जन्म दिवस पर,
सबको पुस्तक ही बँटवाई।
और साथ में पेन बाँट कर, कैसा उच्च विचार दिया है।
मेरे जन्म दिवस पर मुझको,
पापा ने उपहार दिया है।
अच्छी पुस्तक सच्चा साथी,
हर कर तक पुस्तक पहुँचाऐं।
अच्छी पुस्तक पढ़
लेने की,
सब के मन में ललक जगाऐं।
सबको पुस्तक सबको शिक्षा,
उत्तम मंत्रोच्चार किया है।
मेरे जन्म दिवस पर मुझको,
पापा ने उपहार दिया है।
...आनन्द विश्वास
Saturday, 18 July 2015
"मेरा गुड्डा मस्त कलन्दर"
मेरा गुड्डा मस्त कलन्दर,
नाचे ऐसे जैसे बन्दर।
उछल कूद में ऐसा माहिर,
शैतानी उसकी जग जाहिर।
एक बार बस चाबी भर दो,
फिर उसको धरती पर धर दो।
ऊपर नीचे, नीचे ऊपर,
कभी नाचता सिर नीचे कर।
कभी हाथ से पैर पकड़ता,
कभी पैर पर नाक रगड़ता।
पैरों को सिर पर रख लेता,
और हाथ के बल चल देता।
प्यारा गुड्डा करतब करता,
तरह-तरह की हरकत करता।
कसरत करता दण्ड पेलता,
हमें खिलाता और खेलता।
त्राटक करता, योगा करता,
और बहुत से आसन करता।
हरकत वह तब तक ही करता,
जब तक चाबी का दम रहता।
और बाद में शव-आसन कर,
शान्त लेट जाता है भू पर।
जब-जब भी मैं चाबी भरता,
धमा-चौकड़ी तब ही करता।
Tuesday, 14 July 2015
मेरी गुड़िया छैल-छबीली
मेरी गुड़िया छैल-छबीली
...आनन्द विश्वास
मेरी गुड़िया छैल-छबीली,
जींस पहनती गहरी नीली।
ईलू - ईलू बोले सबको,
प्यार बाँटती
सारे जग को।
काला
चश्मा लाल रुमाल,
और
सुनहरे सुन्दर बाल।
जैकिट
है फर वाला
लाल,
शूज़
पहन कर करे कमाल।
आँखें उसकी
नीली-नीली,
और टॉप
है हल्की पीली।
कभी
खोलती
आँखें अपनी,
और
कभी ढक लेती
ढपनी।
मटक-मटक
कर आँख दिखाती,
और कभी
आँखें मटकाती।
ठुमक-ठुमक
कर नाँच दिखाती,
सबके मन को
बड़ा लुभाती।
जब मैं उसका पेट दबाती,
सुन्दर-सुन्दर गाने गाती।
मुझको
प्यारी मेरी गुड़िया,
मैं
पापा की प्यारी गुड़िया।
गुड़िया
मुझको प्यारी लगती,
मै पापा
को प्यारी लगती।
प्यारा-प्यारा
जग से न्यारा,
सुखमय
है
संसार हमारा।
...आनन्द
विश्वास
चित्र गूगल से साभार
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