Monday 21 September 2015

"शक्ति-स्वरूपा बेटी हो"

परी-लोक  में मत भरमाओ,
आज  देश के  बचपन को।
परी-लोक सा  देश बनाकर,
दे   दो  नन्हें   बचपन   को।

क्यों कहते हो स्वर्ग-लोक में,
निर्मल    गंगा    बहती   है।
गंगा को  निर्मल कर कह दो,
ऐसी      गंगा     बहती    है।

बेटा-बेटा   कह   बेटी   को,
मत   भरमाओ    बेटी   को,
उसको उसका हक दे,कह दो
तुम शक्ति-स्वरूपा बेटी  हो।

ये  करना  है,  वो  कर  देंगे,
मत भरमाओ  जन-जन को।
जो करना है कर दिखलाओ,
आज देश के  जन-गण को।
-आनन्द विश्वास

2 comments:

  1. भावपूर्ण प्रस्तुति.बहुत शानदार
    कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

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  2. मदन मोहन जी,
    बहुत-बहुत धन्यवाद।
    अपना स्नेह बनाए रखिए।
    .....आनन्द विश्वास

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