चाचू की शादी में हमने, खूब मिठाई खाई।
नाचे - कूदे, गाने गाए, जमकर मौज मनाई।
आगे-आगे बैण्ड बजे थे,
पीछे बाजे ताशे।
घोड़ी पर चाचू बैठे थे,
हम थे उनके आगे।
तरह-तरह की फिल्मी धुन थीं
और बजी शहनाई।
चाचू की शादी में हमने, खूब मिठाई खाई।
नाना नाचे, नानी नाचीं,
नाचीं चाची ताई।
दादा-दादी ने फिर जमकर,
डिस्को डांस दिखाई।
आतिशबाजी बड़े गज़ब की, सबके मन को भाई।
चाचू की शादी में हमने, खूब मिठाई खाई।
दरबाजे पर धूम-धड़ाका,
नाचे सभी बराती।
स्वागत करने सभी वहाँ थे,
रिश्तेदार घराती।
चाची जी ने चाचा जी को, वर-माला पहनाई।
चाचू की शादी में हमने, खूब मिठाई खाई।
खाने के तो, क्या थे कहने,
कुछ मत पूछो भाया।
काजू किसमिश मेवे वाला,
हलवा हमने खाया।
कहीं चाँट थी दिल्ली वाली, और कहीं ठंडाई।
चाचू की शादी में हमने, खूब मिठाई खाई।
काजू-पूरी,दाल मखनियाँ,
और नान तन्दूरी।
छोले और भटूरे ने तो,
कर दी टंकी पूरी।
दही-बड़े की डिश चाची ने, जबरन हमें खिलाई।
चाचू की शादी में हमने, खूब मिठाई खाई।
और रात को फेरे-पूजा,
छन की बारी आई।
चाचा जी भी बड़े चतुर थे,
छन की झड़ी लगाई।
मौका पाकर साली जी ने, जूती लई चुराई।
चाचू की शादी में हमने, खूब मिठाई खाई।
भोर हुआ तब धीरे-धीरे,
समय विदा का आया।
दरबाजे पर कार खड़ी थी,
सबका मन भर आया।
सबकी आँखे भर आईं जब, होने लगी विदाई।
चाचू की शादी में हमने, खूब मिठाई खाई।
यूँ तो मुझको बड़ी खुशी थी,
फिर भी रोना आया।
रोना और बिलखना सबका,
मैं तो सह ना पाया।
सारी खुशियाँ छूमंतर थीं, सुनकर शब्द विदाई।
चाचू की शादी में हमने, खूब मिठाई खाई।
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-आनन्द विश्वास