तुम्हीं बताओ
कीट सखे, मैं कैसे
तुमसे प्यार करूँ।
जब
जल
कर करता
उजियारा,
तब तुम
प्रीति दिखाते हो।
सच्चा
प्रेम अगर तुम करते,
तो बुझने पर क्यों
ना आते
हो।
मत समझो मैं पागल तुम सा,जो हर राही से प्यार करूँ.
तुम्हीं बताओ कीट सखे, मैं कैसे
तुमसे
प्यार करूँ।
तुम
मस्त मरिंदे सम
ठहरे,
जो डोला करते फूल-फूल पर।
खा कर के सौगंध
कहो तुम,
ना डोला करते दीप-दीप
पर।
तुम मतलब के मीत
सखे, रिश्ता कैसे स्वीकार करूँ,
तुम्हीं बताओ कीट सखे, मैं कैसे
तुमसे प्यार करूँ।
जब
चंदा
करता उजियारा,
तब चकोर
ललचाता है।
क्या दिन
में भी कहीं चकोर,
ऊपर को आस
लगाता है।
वे सोचे समझे क्यूँ
तुमसे,कुछ सांसों का व्यापार
करूँ,
तुम्हीं बताओ कीट
सखे,
मैं
कैसे तुमसे प्यार करूँ।
तेल है मेरा जीवन
साथी,
जो जलता है मुझे जिलाने को।
माना
तुम
भी
जल
जाते,
अपनापन
मुझे
दिखाने
को।
बिना तेल अस्तित्वहीन मैं,किस ओर थिरकते पाँव धरूँ,
तुम्हीं बताओ
कीट
सखे,
मैं कैसे तुमसे प्यार करूँ।
-आनन्द
विश्वास
aapke sabhi geet bahut manbhavan hain vishwas ji..bahut khoob!! 5 november ko karnavati club ke kavi sammelan me aa rahi hun..
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