अच्छा बोलो, सच्चा बोलो, बात करो दिल खोल कर,
सबको वश में कर
सकते हो, मीठी वीणी बोल कर।
सच के
साथ ज़मीर तुम्हारा,
खड़ा सदा साथ में सदा
रहेगा।
युगों - युगों तक हरिश्चन्द्र सा,
बात तुम्हारी
सदा कहेगा।
निर्भय होकर सच तुम बोलो, शब्द-शब्द
को तोल कर,
अच्छा बोलो, सच्चा बोलो,
बात करो दिल खोल कर।
सच के साथ सदा जग होता,
झूँठा सदा
बिना पग होता।
सत्य-न्याय-पथ चलने वाला,
भरी सभा
अंगद-पग होता।
सारे जग में
छा सकते हो, सत्य-बचन तुम
बोल कर,
अच्छा बोलो, सच्चा बोलो,
बात करो दिल खोल कर।
अन्दर-बाहर बनो
एक सम,
मन दर्पण सा स्वच्छ बनाओ।
कोई उंगली उठे
न तुम पर,
सुचिता निज कर्मो में लाओ।
अच्छे-अच्छे कर्म
करो तुम, मनवा जरा
टटोल कर,
अच्छा बोलो, सच्चा बोलो,
बात करो दिल खोल कर।
-आनन्द विश्वास, दिल्ली