Sunday, 11 October 2015

"बन सकते तुम अच्छे बच्चे"

सुबह    सबेरे   जल्दी   जगते,
और  रात  को  जल्दी   सोते।
ऐसा    करते    अच्छे   बच्चे,
बन  सकते  तुम अच्छे बच्चे।
सिटअप करते, पुशअप करते,
और तेल  की  मालिश करते।
कसरत  करते  अच्छे  बच्चे,
बन सकते तुम अच्छे  बच्चे।
त्राटक   करते,  योगा   करते,
वॉकिंग करते, जौगिंग करते।
स्वास्थ्य सँवारें अच्छे  बच्चे,
बन  सकते तुम अच्छे बच्चे।
मात पिता गुरु  आज्ञा  मानें,
अच्छा  बुरा  स्वयं पहचानें।
सबको  भाते  अच्छे  बच्चे,
बन सकते तुम अच्छे बच्चे।
दुःख में सुख में सम रहते हैं,
दूजों  के ग़म  कम  करते हैं।
सत्-पथ चलते अच्छे बच्चे,
बन सकते तुम अच्छे बच्चे।
जाति-पाँति से  ऊपर उठकर,
मानव-सेवा  शिरोधार्य  कर।
सेवा  करते   अच्छे   बच्चे,
बन सकते तुम अच्छे बच्चे।
-आनन्द विश्वास

2 comments:

  1. बहुत सुन्दर बाल रचना। .
    नवरात्र की हार्दिक मंगलकामनाएं!

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    1. धन्यवाद कविता जी,
      नवरात्रि की मंगलमय शुभकामनाओ के साथ।
      ....आनन्द विश्वास

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